अफलातूनी यातायात व्यवस्था से शहर फंसा है जाम में

ग्वालियर। स्मार्ट सिटी ग्वालियर इन दिनों जाम की बीमारी से जूझ रहा है शहर के कुछ भागों में निरन्तर जाम लगा रहता है। इससे नगरवासी पीड़ित है, सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब जाम की चपेट में कोई एम्बूलेंस आती है अथवा कोई मरीज या गर्भवती महिला जाम में फंस कर हॉस्पीटल तक नहीं पहुंच पाती। जाम की वास्तविकता जाँच के लिये निकले आला अधिकारी को भी जाम में फंस कर अपना सर्वे पूुरा किये बिना लौटना पड़ा। आखिर इस जाम की वजह क्या है। हम यहाँ कुछ बिन्दुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं यदि इन पर प्रशासनिक अधिकारी गौर करें तो जाम से कुछ तो राहत मिल ही जायेगी।
लश्कर क्षेत्र के यातायात से शिन्दे की छावनी मार्ग पर लगने वाले जाम से राहत दिलाने के लिये नदी गेट पुल से गुरूद्वारे तक एक सड़क शिन्दे की छावनी की ओर स्वर्ण रेखा नदी के समानान्तर बनाई गई थी जिन लोगों को शिन्दे की छावनी न जाकर डी.डी. मॉल या आगे जाना होता था वे वाहन इस रोड से सीधे गुरूद्वारे पहुंच जाते थे इससे शिन्दे की छावनी में वाहनों का दवाब कम हो जाता था लेकिन प्रशासन ने नदी गेट पुल के पास लोहे के पाइप लगाकर इस सड़क को बन्द कर दिया है। जो सड़क यातायात के दबाव को कम करने के लिये बनाई गई है उसे बन्द करने का क्या औचित्य है? यह आम आदमी नही समक्ष पा रहा।
यातायात नियन्त्रण के लिये उपयोग में आने वाले स्टॉपर और बैरीकेड्स नगर में जाम का बड़ा कारण है। हर चौराहे पर बैरीकेड्स की बाढ़ है। भीड़ नियन्त्रण के बाद इन स्टॉपर को वँही पड़ा छोड़ दिया जाता है जिससे जाम की स्थिती बनती है। शिन्दे की छावनी, पड़ाव, कम्पू तिराहा, आदि स्कलों पर जाम लगने का बड़ा कारण इन स्टॉपर का गलत प्रयोग है।
नगर की यातायात व्यवस्था को बिगाड़ने का एक बड़ा कारण चौराहों को बन्द करके यातायात को विपरीत दिशा में चलाना है पड़ाव चौराहे पर लाइट सिग्रल होते हुये भी यातायात सीधा नहीं चलाया जा रहा। मुरार स्टेशन गोला का मन्दिर मार्ग से पड़ाव पुल से आकर हजीरा जाने वाले वाहनों को हजीरा मार्ग पर जाने के बजाय कला कीथका की ओर जाकर आगे तिराहे से फिर वापस पड़ाव चौराहा होकर हजीरा मार्ग पर जाना होता है। इस से जहाँ नागरिक परेशान होते हैं बड़ी सिंधिया कन्या विद्यालय की ओर से आने वालो यातायात तिराहे पर बाधित होता है। पड़ाव से फूलबाग चौराहे तक डबल रोड होने के बावजूद रेल्वे पुल से वाहनों को सीधा इस रोड पर नहीं आने दिया जाता जिससे इतना चौड़ा रोड खाली रहता है और सिंधिया कन्या विद्यालय मार्ग पर पर जाम लगता है।
इसी प्रकार की स्थिती शिन्दे की छावनी पर है इस के कारण नदी पुल मार्ग से आने वाले, फालका बाजार से आने वाले वाहन सीधे नौगजा रोड पर नहीं जा सकते और न शिन्दे की छावनी की ओर मुड़ सकते उन्हें वैरी कैट के सिरे तक लक्ष्मण तलैया मार्ग पर मुड़कर फिर वापिस मुड़ना पड़ता है इससे सामने से आने वाला यातायात वाद्यित होता है। इसी प्रकार नौगजा से आने वाले ट्रैफिक को भी शिन्दे की छावनी तिराहे तक जाकर घूमकर वापिस आना पड़ता है इससे जाम लगता है 
यही स्थिती कम्पू तिराहे की है यहां भी जिन्सी नाले से आकर वाहनों को बाड़े जाने के लिये पहिले कम्पू तिराहे तक जाना होता है। फिर वापिस मुड़कर बाड़ा जा सकते है। इससे कम्पू क्षेत्र से आने वाला यातायात रूकता है।
नगर की बढ़ती आबादी की दृष्टि से ट्रैफिक विभाग में कर्मचारियों की कमी है। और जो स्टाफ है भी वह सक्रिय होकर यातायात नियन्त्रण के बजाय तमाशबीन बना खड़ा रहता है। चौराहों पर खड़ा ट्रेफिक जवान यदि सीटी ही बजाता रहे तो वाहन चालक सर्तक रहते है लेकिन ऐसा होता नहीं है। ट्रैफिक अमला यातायात नियन्त्रण करने के बजाय चालान काटने मे ज्यादा सक्रिय रहता है।
हमारे वरिष्ठ अधिकारी और जन प्रतिनिधियों से अनुरोध है कि वे उपरोक्त चौराहों पर पैदल जाकर और कुछ समय वहॉ खड़े रहकर निरीक्षण करें तो यातायात की अव्यवस्था स्थ्तिी को सुधारा जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि यातायात विभाग इस और सक्रिय कदम उठाकर शहर को जाम की स्थिती से बचायेगा।